देवीचे उत्सव
दररोज मंदिरात भाविकांचा अखंड ओघ सुरूच असतो. दर्शनासाठी दररोज अंदाजे 500 ते 1000 लोक येत असतात. नुकताच पार पडलेल्या चैत्र शुद्ध अष्टमी यात्रोत्सवाचा मुहूर्त साधत तब्बल 15000 हून अधिक भाविकांनी श्रीमनुदेवीचे देवीचे दर्शन घेतले. प्रत्येक वर्षाच्या विशिष्ट दिवशी/तिथी ला देवीचे उत्सव साजरे होतात. नवचंडी महायज्ञाचे आयोजन केले जाते तसेच देवीचा यात्रोस्तव साजरा होतो. खालील विशिष्ट दिवस भाविकांना दर्शनासाठी योग्य आहे.
- प्रत्येक वर्षाच्या चैत्र व माघ शुद्ध अष्टमी या दिवशी देवीवर 'नवचंडी' महायज्ञाचे आयोजन केले जाते.
- संपुर्ण मार्गशीर्ष महिना व श्रावण महिन्यातील पिठोरी अमावस्येच्या दुसर्या दिवशी ( पोळा ) देवीची यात्रा असते.
- अश्वीन महिन्यात नवरात्रोस्तव तसेच देवीची यात्रा असते.
- विश्वस्त मंडळाने भाविकांच्या सोयीसठी मंदिरामध्ये पुर्णवेळ पुजारी/महाराज उपलब्ध केल्याने भाविक आता धार्मिक कार्यक्रम ( नवस, जावळ, अभिषेक , लग्न इ. ) केव्हाही करु शकतात.
टिप: भाविंकाच्या विनंतीनुसार देवीवर अभिषेक\पूजा करण्याची सोय आहे. हि अभिषेक\पूजा भाविकांनी म्हटलेल्या विशिष्ट दिवशी त्यांच्या नावाने करण्यात येईल. त्यासाठी संस्थेशी संपर्क साधावा.
श्री मनुदेवी मंत्र देवीची आरती
"डाऊनलोड / प्रिंट श्री मनुदेवी स्तोत्रबुक".
|| ॐ नमो भगवती मनुमाते नमः ||
श्री मनुदेवी मंत्र
गिरीवास प्रिया सिध्दां | भक्त कल्याण कारिणिम् |
वन्दे श्री मनुदेवी स्वाम् | मनोवांच्छित दायिनिम् |
देवीची आरती
दुर्गे दुर्घट भारी तुजविण संसारी || अनाथनाथे अंबे करुणा विस्तारीं ||
वारी वारी जन्ममरणांते वारी || हारीं पडलों आतां संकट निवारी || १ ||
जय देवी जय देवी महिषासुरमथिनी || सुरवरईश्वरवरदे तारक संजिवनी || जय० || धॄ० ||
त्रिभुवन-भुवनी पहातां तुजऐसी नाही || चारी श्रमले पंरतु न बोलवे कांही ||
साही विवाद करितां पडले प्रवाही || ते तू भक्तांलागी पावसी लवलाही || जय० || २ ||
प्रसन्नवदने प्रसन्न होसी निजदासां || क्लोशांपासुनी सोडवि तोंडी भवपाशा ||
अंबे तुजवांचून कोण पुरविल आशा || नरहरि तल्लिन झाला पद पंकजलेशा ||
जय देवी जय देवी महिषासुमथिनी || सुरवरईश्वरवरदे तारक ० || ३ ||
|| श्री मनुदेवी स्तोत्र ||
श्री मनुदेवी नमस्तुभ्यं सुरेश्वरी
भक्त प्रिये नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं जगदेश्वरी || १ ||
सप्तालये नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं सर्वदे
सर्वभूत हिताषार्थ क्रुपादॄष्टी सदा करु || २ ||
सिध्दीदात्रि मनुपूत्री मनुदेवी नमो नमः
निर्विघ्न कुरुमे माते शुभ कार्येषु सर्वदा || ३ ||
जगन्माते नमस्तुभ्यं करुणाकरी
दया वती नमस्तुभ्यं विश्वेश्वरी नमोऽस्तुते || ४ ||
नमो नमस्ते देवी अखंड सौभाग्य वुध्दे
प्रसीद मम अंब कॄपया पाहि माम् सदा || ५ ||
जगदंब नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं दयानिधे
दयावति नमस्तुभ्यं दुर्गती नीनी नमोऽस्तुते || ६ ||
सर्व स्वरुंप स्वरुंप सर्वो सर्व शक्ती समन्विते
मनुदेवी नमस्तुभ्यं मोक्ष दायिनी नमोऽस्तुते || ७ ||
सातपुडा वासिनी देवी नम्स्त्रेतोक्य धारिणी
कॄपा दॄष्टे नमस्तुभ्यं रक्षमाम् शरणागतम् || ८ ||
श्री मनुदेवी - मंगल आरती
|| १ || जयदेवी जयदेवी जय श्री मनुमाते
आरती ओवाळीतो सद् भावे तुते || जयदेवी - जयदेवी
|| २ || सातपुडा निवासिनी कुलस्वामिनी मनुआई
वारिसी विघ्ने सत्वरी भक्ताची तू पाही || जयदेवी - जयदेवी
|| ३ || भक्तीभावे तुजला जे कोणी भजती
प्रसन्न होऊनी देसि संतती, सुख, संपत्ती || जयदेवी - जयदेवी
|| ४ || आदि अनादी अनामय तु अविनाशी
श्री देव श्रीगणो तव सानिध्यासि || जयदेवी - जयदेवी
|| ५ || मनुदेवी, मनुआई, मनुबाई तुज वंदती
तारि तु आता भक्त शरण तुजी || जयदेवी - जयदेवी
|| ६ || चैत्र शुद्ध अष्टमी अतिप्रिय तुजी
करुणा कर तु सांभाळी बाळासि || जयदेवी - जयदेवी
|| ७ || पाहुनी निसर्ग रम्य तुझा अतिदिव्य परिसर
मन रमते तुजपाशी शरण तवं किंकरा || जयदेवी - जयदेवी
|| ८ || भक्त पावना शांत स्वरुपा श्री मनुआई
ठाव दे भक्तासी सत्वरी तव पायी || जयदेवी - जयदेवी
|| ९ || धुप, दीप, नैवेद्य आरती सद् भावे तुज करितो
अनन्य होऊनी भावे तुज मी नमितो || जयदेवी - जयदेवी
|| १० || सातपुडा निवासिनी इह्पर सिध्दीप्रदे
चंद्रभागा सुत चरण शरण माते वर दे || जयदेवी - जयदेवी
सातपुडा निवासिनी श्री मनुमातेची आरती
|| जय देवी जय देवी, जय मनुमाते ||
आरती ओवाळीता, प्रसन्न मन होते
|| आदिशक्ती देवी तू गिरिमाता ||
|| तुजविण या जगती, अन्य नसे त्राता ||
जय देवी जय देवी (१)
|| नाना विधरुपे माते तू घेसी ||
|| सदाभक्ता संकटी, धावोनी तू येसी ||
जय देवी जय देवी (२)
|| नाना देशी नाना अवतार घेसी ||
|| नाना नामे तुज, भक्तजन देती ||
जय देवी जय देवी (३)
|| जैसी त्याची भक्ति तैसा वर देसी ||
|| सदाभक्ता कारणे, सातपुडा येसी ||जय देवी जय देवी (४)
|| मनुमाता, मनुबाई भक्त तूज म्हणती ||
|| मी-तू-पण विसरोनी तूजला ते नमिति ||
जय देवी जय देवी (५)
|| सत्कर्मी मति असू दे ज्ञानहि देई सदा ||
|| जगन्नाथ सुत प्रार्थितो तुजला ||
जय देवी जय देवी (६)
|| श्री मनुदेवी स्तोत्र ||
श्री गणेशाय नमः | ॐ नमोजी गणनायका | एकदंता वरदायका स्वरूप सुंदरविनायका | आता नम्र ब्रम्हकुमारी || हंसारूढ वाघेश्वरी विणा शोभे दक्षिणकरी | विजयी मुर्ती सर्वदा || १ ||
नंतर नमिलो कुलदेवता | मनुमाई जगन्माता | जी विश्वाची अधिष्ठाता | जिच्याने लाभे सुखसंपदा || २ ||
नमन माझे गुरुवर्या | प्रकाशरुप तू स्वामिया स्फुर्ती द्यावी ग्रंथ वदावया | जेण श्रोतया सुख वाटे | ३ |
नमन माझे संतजना | तैसेची बुधजना | ज्याचेनी सुख लाभ सकलजना | कल्पवॄक्षापरी | ४ |
असो जिचा हा ग्रंथ जाण | त्या मातेसी करुनी नमन | करीतसे ग्रंथा रंभन | प्रमभावे करुनिया | ५ |
श्रोतियांसी नमस्कार | माझा असो निंरतर | सर्वत्र होवुनी आदर | न्युन ते पुर्ण करावे | ६ |
मनुमातेचे मंगल स्त्रोत | स्मरिता तिचे महात्मय पवित्र | पुष्पामालेतुनी ओविले एकत्र | भालचंद्रे रचिली | ७ |
मनुमातेची महती | सर्व जगाची जी - गंगोत्री | जिच्याने लाभे सुखसंपत्ती | भक्त संरक्षणे घेई नामे | ८ |
शक्ति माता ती सर्वस्थानी | एकटी चित्ती ब्राम्हणी | तालू स्थानी नारायणी | अमॄतसर विद्यापुरी | ९ |
दूर्गानामे वेणुग्रामी | कालीकलयतली वंगधामी | परमहंस विवेक संगमी | शक्ती तीच परंपरा | १० |
श्रीविद्या ती श्रीनगरी | भारती तीची वाचापुरी | अंबा रत्नाचल करवरी | क्षेत्र बद्रीहुनी येशी | | ११ |
रेणुकामाता ती माहुरी पुण्यफल प्रदे नर्मदातिरी | सह्याचली अतीसूंदरी | संवंदंती ग्रामपैल ती | १२ |
भवानी माय तुळजापुरी | बसली शिवह्रदयांतरी | कामिनी ती विश्वंभरी मम ह्र्दयी राही स्थिर | १३ |
तिच सीमा मंदोदरी | अहिल्या तारा नि द्रुपदकुमारी | राही रुख्मीनी वज्रेश्वरी | अवतार असे वज्र-नारीचा | १४ |
धुळे ग्रामे प्रगटे एकविरा नामे | सातपुड्यात वसे मनुमाता नामे | अन्न्पुर्णा नि संतोषीमाता प्रसन्ने | अनंत रुप वर्णाया शब्द अपुरे | १५ |
एकेक ते देवस्थान | स्वयंभू पूण्यक्षेत्र महान | करिता स्मरण घेता दर्शन | इच्छा पुर्ण होतसे | १६ |
मनुमाता ज्यांचे कुलदैवत | जाज्वल्य आणि जागॄत | प्रसन्न होता मनोरथ | सफल संपुर्ण होतील | १७ |
जळगांव जिल्ह्यात आडगांवी | जाऊनी जिथे प्रचिती पहावी | मनुमातेची थोरवी | उपासका कळेल | १८ |
दॄष्टी फेका सभोवार | तिथे एका डोंगरावर | आहे स्थान मनोहर | मनुमाता नामे प्रसिध्द | १९ |
मनुमातेची स्थापना कोण्या काळीची असेना | परि शंका नसावी मना | तिच्या जागॄतीची || २० ||
कुलदैवत अनेकांचे | रक्षण करिती भक्तांचे | नाम घेता मातेचे | विघ्न सारी टळतात | २१ |
अनेक जाती जमाती मनुमातेचे भक्त असती | परि एकत्र नांदिती आशिर्वाद मातेचा त्यांना | २२ |
साडेतीन पीठ देवीची | सर्वत्र ख्याती असे ज्यांची | मनुमाता बहिण सर्वाची | शंका नसावी कुणा | २३ |
पहिले माहूर गडावरी | दुसरे कोल्हापुरी नगरी | तिसरे तु़ळजापुरी | सप्तशॄंग अर्धेपीठ प्रसिध्द | २४ |
मनुमाते समवेत | बहिणीची हास्यमुद्रा विलसीत | शेजारी गजानन आंनदात | दॄश्य विहंगम भासे | २५ |
पायरया उतरत क्षणी | धबधबा लक्ष वेधितो नयनी | आंनदाची ही पर्वणी | न मिळे स्वर्गी ही | २६ |
मोठ्या शिळेचा महिमा | मातेच्या भावाची प्रतिमा | त्यामु़ळे त्या स्थाना तिर्थत्व प्राप्त जाहले | २७ |
मातेशी अतिप्रिय सावळे | विटाळ जाणे टाळावे | पथ्य हेची समजावे | सांगणे श्रोते हो | २८ |
एका अबलेले काय केले | विटाळ वेता सांगणे टा़ळले | परी तेची भोविले | गांधील माशांनी पीडा दिली | २९ |
लक्षात येता क्षणी | पळता सर्व जणी | पूनशच स्नान आटपोनी | घेती दर्शन मातेचे | ३० |
मधु जोशी नामे भक्तास | अनुभव येई खास | रक्तदाबाचा त्रास पत्नीस | परी माते कॄपेने | चालुनी जाती दर्शनास | ३१ |
एक पतीव्रता साध्वी होती | आख्यायिका तिची सांगती | दोन्ही पती पत्नी सुखे नांदती | मातेची आराधना करती | ३२ |
भगवंताच्या कॄपेने | त्यांना नव्हते काही उणे | परि त्यांच्या प्रारब्धाने निपुत्रिक ती होती | ३३ |
अनेक केली व्रत वैकल्ये नवस-सायाही केले | परि इच्छीत साध्य नाही झाले | अनेक वर्ष त्यांचे | ३४ |
मातेशी साकडे घातले | पुत्र रत्न मला का न झाले | जे समयी धबधबा चाले बाळासमवेत उडी घेईन | ३५ |
भक्तावरती श्रध्दा फार | झाली प्रसन्न अबलेवर | दुर्दैवाचा चक्काचूर लाभ होई पुत्र रत्नाचा | ३६ |
प्रतिज्ञेप्रमाणे जाऊनी पठारी | अबलेची वॄत्ती बहु करारी बाळासमवेत ऊडी मारी | परी निर्वीघ्न राहती | ३७ |
महारोग होता कुळकर्ण्यांना | भोगिती दारुण यातना | जाती मातेच्या दर्शना | मुक्काम तिथे ठोकीती | ३८ |
एके दिवशी काय घडले | मातेने स्वप्नी दर्शन दिले | स्वप्नी आदेश केले वॄक्ष पालवी शरिर चोळावी | ३९ |
तै प्रमाणे केले | नवल ते घडले | रोगमुक्त झाले | प्रसन्न होता भगवती | महारोग पळती | ४० |
चंद्राभागाबाई गांधालीकर | पडून होत्या पलगांवर | येत नव्हत्या शुध्दीवर डाक्टरी उपाय थकले | ४१ |
मुलगा करी मातेशी प्रार्थना | वाटू दे बरे मातोश्रींना | येऊ तुझ्या दर्शना म्हणोनी विभूती लावली | ४२ |
मातेची ते समयी येई प्रचिती | चंद्रभागाबाई शुध्दीवर येती | पुन्हा कधी आजारी न होती | ठेवीता श्रध्दा दु:खे आपोआप पळती | ४३ |
मुलगा नामे महिपंत | असतो फागणे ग्रामात | फिटे ग्रासी अल्पवयात | मातापिता असती चिंतेत | ४४ |
दांपत्ये मातेसी विनवीती | जर का बाळासी फीट जाती | तुझ्या दर्शनाची महती प्रतिवर्षी आम्ही घेवु | ४५ |
मातेचा महिमा | जाती फीट त्या क्षणा | दांपत्याची ती करुणा | ४५ |
कारणे लागती | ४६ |
फागणे गावाची दुसरी कथा | श्रोतेहो शांत चित्तेने एका | कमलाबाईची ती व्यथा | मनुकॄपे दूर झाली | ४७ |
मातोश्री कमलाबाईंना | होत्या चार कन्या | पुत्राची अपेक्षा त्यांना | रात्रंदिवस होती | ४८ |
प्रचंड असे इच्छाशक्ती | मातेशी सांकडे घालती | अनंते अडचणी येती | परी मातेकॄपे पुत्र लाभ झाला | ४९ |
कमलाबाई चौधरी | जेथे दारीद्र्य वास करी | मातेंची कॄपा त्यांचेवरी | धन्यधान्य संपत्ती प्राप्त झाली | ५० |
चैत्र शुध्द पक्षात | सातपुडा परिसरात यात्रा भरते थाटात अष्टमी नवमी दिवस पाहुनी | ५१ |
काहींच्या चाली रिती संक्रांती पोळा पाळीती | ते समयी दर्शन जाती | पाळावे नियम घराण्याचे | ५२ |
राहती मातेच्या लिला फार | भक्ती परी लांबणार | शब्द अपुरे पडणार | करावी आशीर्वादाची याचना | ५३ |
पुजा करावी यथासांग | जाती सर्व भोग | धरु नये अती लोभ | हिच विनंती श्रोत्यांना | ५४ |
पुजेसाठी शुचिर्भूत होऊनी | आंनदी वॄत्ती ठेवूनी | नतमस्तक होऊनी | संकल्प सोडावा | ५५ |
आवाहन प्रार्थना करीत | साक्षात दिसे मनुमाता | आईचे स्नान घालीत | वस्त्र - ह़ळद कुंकु, फुले अर्पावी | ५६ |
धूपदीप ओवाळूनी | पूरणाचा नैवेद्य अर्पूनी | मनोभावे नमस्कारोनी | आरती संपता प्रदक्षिणा घालावी | ५७ |
तदनंतर करावी प्रार्थना | सांगावी मनोकामना | आशिर्वादाची करावी याचना | व्रत महात्म्य वाचावे | ५८ |
आता परीसावी फल प्राप्ती | कैसे मिळे होता पूजा आरती | शांत ठेवूनी वॄत्ती | सावधान होवूनी एकावे | ५९ |
या माते स्तुतीचे जाण | भावे करीता श्रवण पठण | सर्व बाधा निरसून कार्यसिध्दी होतेसे | ६० |
धूप दिप नैवेद्य आरती | जे मातेसी नित्य करीती | त्या प्राणीया सुख संपत्ती मिळेल सर्वदा | ६१ |
जे मातेस विनवीती| मनोभावे सेवा करीती | जवळ बैसुनी प्रार्थीती | ते सदा सौभाग्य पावती | ६२ |
माता स्मरण निशी दिनी | तो वर्चस्व गाजवी या भूवनी | त्याचीया सत्त्वाची खाणी | उध्दारली आहे | ६३ |
कल्पवॄक्षाची हि छाया | होतेसे तॄप्ती पावलीया | संसारी राहतसे हि छाया | असु द्यावे हे बोल अंतरी | ६४ |
ठेवूनी गाढ विश्वास | ठेवीते ती भक्तास | पूरवूनी धनास | सुखी करते सर्वांना | ६५ |
इतिश्री सुरभरीत | मनुमाता महात्म्य समाप्तम | श्री लक्ष्मी नारायणार्पणमस्तु श्री राधाकॄष्णार्पणमस्तु | शुभंम भवतु | ६६ |